मौलिक कर्तव्य भी मौलिक अधिकारों की तरह न्यायालयों में लागू किए जाने योग्य बनाये जायें: सत्य पाल जैन
विनय कुमार शर्मा
चंडीगढ़
चंडीगढ़ के पूर्व सांसद, भारत के अपर
महासॉलिसिटर तथा पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट की सबसे वरिष्ठ सदस्य सत्य पाल जैन ने
कहा कि अब वो समय आ गया है जब किसी नागरिक के मौलिक कर्तव्यों को, जो संविधान के अनुच्छेद 51वें में विस्थापित किया
गये है, को भी भारत के संविधान में संषोधन करके भारत के
नागरिकों के मौलिक अधिकारों की तरह कानूनी अदालतों के माध्यम से लागू किया जा
सकें। जैन ‘‘मौलिक कर्तव्य एवं राष्ट्र निर्माण’’ के विषय पर ‘‘थिंक इंडिया’’ द्वारा
आयोजित एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। जैन ने कहा कि संविधान की धारा 51
में 11 मौलिक कर्तव्य है जो भारत के
प्रत्येक नागरिक द्वारा निभाए जाने अपेक्षित हैं, लेकिन
फिलहाल वे न्यायालय द्वारा लागू नहीं किये जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 70
वर्षों की आजादी के दौरान लोगों ने केवल मौलिक अधिकारों के बारे में
ही बात की है, न कि मौलिक कर्तव्यों के बारे में। उन्होंने
कहा कि कोरोना तथा राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा के बढ़ते खतरों के
मद्देनजर आने वाले समय में भारतीय नागरिकों को केंद्र और राज्य सरकारों के नेतृत्व
में जारी दिशानिर्देशों को स्वीकार करने और उनके द्वारा समाज के प्रति अपने
कर्तव्यों को निभाने की और ज्यादा आवश्यकता होगी। इस लिये इस मामले में अब समय आ
गया है जब एक नागरिक के मौलिक कर्तव्यों को भी संविधान में संशोधन करके कानून के
न्यायालयों में लागू होने वाले बनाया जाना चाहिए ताकि राष्ट्र, विशेष रूप से आने वाली पीढ़ियों, को संविधान की
गंभीरता का अहसास हो और उन्हें राष्ट्र के प्रति उनके कर्तव्यों से अवगत कराया जा
सके।
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