सुभाष चंद्र बोस से जुड़े बाकी दस्तावेज भी सार्वजनिक
हों : डॉ चौहान
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार शर्मा
करनाल
इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का
स्थापित होना आजादी के महानायक को सम्मान देने का एक छोटा सा प्रयास है। यह बात
हरियाणा भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने यहां जारी एक वक्तव्य
में कही। उन्होंने कहा कि नेताजी की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य
में किए जा रहे इस बदलाव से कांग्रेस परेशान है। इस परेशानी का कारण आसानी से समझा
जा सकता है। डॉ चौहान ने कहा कि आजादी के कई नायकों और खासकर महानायक सुभाष चंद्र
बोस के योगदान को इतिहास में उचित स्थान नहीं दिया गया। यह भी कहा जा सकता है कि
उनके योगदान को जानबूझकर छिपाने का प्रयास हुआ। जवाहरलाल नेहरु काल के दस्तावेजों
में सुभाष बोस का जिक्र वार क्रिमिनल के तौर पर किया गया है। इससे तत्कालीन
कांग्रेस सरकार की मंशा साफ हो जाती है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि एक अंग्रेज
द्वारा स्थापित पार्टी के उत्तराधिकारी अंग्रेजो को भारत छोड़ने के लिए विवश करने
वाले महानायक को उचित सम्मान कैसे दे सकते हैं? पिछले सात
दशक के दौरान देश को यही बताने की कोशिश की गई कि इस देश को अंग्रेजो की गुलामी से
मुक्ति एक ही परिवार ने दिलाई। इसलिए स्वतंत्रता संग्राम के किसी अन्य नायक का
सम्मान उन्हें नागवार गुजरता है। इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा
स्थापित करने पर कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया इसी बात का सबूत है। डॉ वीरेंद्र
चौहान ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कथित विमान दुर्घटना में मौत आज भी
रहस्यों के आवरण में लिपटी हुई है। ताइवान की सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि 18
अगस्त 1945 को ताइवान में कोई विमान दुर्घटना
नहीं हुई थी। इससे नेताजी की गुमशुदगी का रहस्य और गहरा हो जाता है। यह सवाल भी
महत्वपूर्ण है कि यदि सुभाष चंद्र बोस की 1945 में विमान
दुर्घटना में मौत हो गई थी, तो वर्ष 1958 तक नेताजी के परिवार की जासूसी क्यों करवाई गई? ब्रिटेन
के पूर्व प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने भी बंगाल के गवर्नर जस्टिस चक्रवर्ती को
एक सवाल के जवाब में कहा था कि अंग्रेजी हुकूमत ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कारण
ही वर्ष 1947 में भारत छोड़ने का फैसला किया। सवाल उठता है
कि जब नेताजी की मौत 1945 में ही हो चुकी थी, तो अंग्रेजो को 1947 में भारत क्यों छोड़ना पड़ा?
नेताजी से जुड़े बाकी दस्तावेज भी सार्वजनिक होने चाहिए। देश उनकी
मौत का सच जानना चाहता है।
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