स्कूली किताबों में इतिहास से छेड़छाड़ का मामला: आप ने 12वीं कक्षा की विवादास्पद किताबों पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की
कांग्रेस, कैप्टन और बादल बताएं कि क्या गुरु हरगोबिंद जी ने मुगल शासक जहांगीर की सेना में नौकरी की थी : कुलतार सिंह संधवां
कहा, किताबों में गुरुओं, गुरबानी और शहीदों को गलत तरीके से पेश करना बड़ी साजिश
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार और एसजीपीसी पर भी उठाए सवाल
एन टी 24 न्यूज़
पूजा गुप्ता
चंडीगढ़
आम आदमी पार्टी (आप) ने बारहवीं कक्षा की इतिहास की विवादित
किताबों को तत्काल वापस लेने की मांग की है और सत्ताधारी कांग्रेस एवं पिछली बादल
सरकार पर सिख गुरुओं के इतिहास और गुरबाणी से छेड़छाड़ करने के गंभीर आरोप लगाए। पार्टी
मुख्यालय से गुरुवार को जारी एक बयान में पार्टी प्रवक्ता और विधायक कुलतार सिंह
संधवां ने कहा कि सिख धर्म व सिख गुरुओं का इतिहास, गुरबाणी
और पंजाब के शहीदों के इतिहास के बारे में तथ्यों को विकृत करने के लिए एक बड़ी और
सोची समझी साजिश के तहत नई पीढ़ी को तोड़-मरोड़ कर पढ़ाई जा रही है। लेकिन
कांग्रेस, कैप्टन और शिअद-भाजपा सरकारों को परवाह नहीं है
क्योंकि वे सत्ताधारी निजी प्रकाशनों के साथ मिलकर 'किताब
माफिया' के माध्यम से सिर्फ पैसे बनाने की सोच रहे हैं। कुलतार
सिंह संधवां ने निजी प्रकाशनों द्वारा प्रकाशित प्रो. मंजीत सिंह, डॉ. एसी अरोड़ा और डॉ. एमएस मान की बारहवीं कक्षा के लिए स्वीकृत पुस्तकों
पर तत्काल प्रतिबंध लगाने और पाठ्यक्रम से वापस लेने की मांग की। संधवां ने
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष
नवजोत सिंह सिद्धू, शिक्षा मंत्री परगट सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पूर्व
शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश
सिंह बादल, पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के
अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल सहित कांग्रेस और अकाली दल (बादल) के तमाम नेताओं से
स्पष्टीकरण मांगा कि क्या गुरु हरगोबिंद जी ने ग्वालियर किले से 52 राजाओं को रिहा कराने के बाद मुगल शासक जहांगीर की सेना में नौकरी की थी?
जैसा कि एसी अरोड़ा ने अपनी किताब 'हिस्ट्री
ऑफ पंजाब' के पेज संख्या 81 में बताया
है। क्या सत्ताधारी नेता और तथाकथित विद्वान इस कथन से सहमत हैं? यदि नहीं, तो ऐसी पुस्तकें अभी भी स्कूली पाठ्यक्रम
का हिस्सा क्यों हैं और वेलोग इस विवाद पर चुप क्यों हैं? संधवां
ने कहा कि डॉ. मान की पुस्तक में कहा गया है कि पंजाब के जट्टों के दबाव ने
गुरु हरगोबिंद को तलवार उठाने के लिए मजबूर किया गया था। क्या ऐसी टिप्पणियां
मीरी-पीरी के संकल्प पर सीधा हमला नहीं हैं? कांग्रेस और
अकाली को भी इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। इसी प्रकार जट्टों के कारण श्री गोबिंद
सिंह द्वारा खालसा पंथ का निर्माण करने का उल्लेख किया है, जो
न केवल गलत है, बल्कि असहनीय भी है। संधवां ने कहा कि न केवल
गुरु ग्रंथ साहिब की वाणी को गलत तरीके से पेश किया गया है, बाणी
के शब्दों में त्रुटियों की भरमार है, जो न केवल अर्थहीन है,
बल्कि गुरु की बाणी का भी अपमान है। क्या तथाकथित 'पंथ के ठेकेदार' बादल संगत को यह बात समझाएंगे?
संधवां ने हैरानी जताई कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार और
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी इस मुद्दे पर चुप क्यों है। जबकि इस संबंध में
लिखित शिकायत की जा रही हैं। संधवां ने कहा कि इन किताबों में श्री गुरु तेग
बहादुर, खालसा पंथ और अन्य गुरुओं और ऐतिहासिक तथ्यों के
साथ-साथ शहीद उधम सिंह जैसे अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में विशद
टिप्पणियां हैं। संधवां ने कहा, "बच्चों का दिमाग कोरे
कागज की तरह होता है, इसलिए ऐसी विवादास्पद किताबें एक गहरी
साजिश का हिस्सा हैं।" संधवां ने कहा कि गुरबाणी और राग के नामों को गलत
तरीके से लिखना एक बड़ी गलती है। दूसरी ओर,यह गलत बयानी
शैक्षणिक स्तर पर किसी धोखाधड़ी से कम नहीं है। इसलिए जरूरी है कि ऐसी विवादित
किताबों पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए।
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