घरेलू जड़ी
बूटियां मुक्त रख सकती हैं तनाव से: डॉ मालिनी दहिया
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
पंचकूला/
चंडीगढ़
मानव शरीर मेटाबॉलिज्म या
उपापचय नामक प्रक्रिया से भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। इसलिए, तेज
मेटाबोलिज्म वाले लोग भोजन को बेहतर तरीके से पचाने में सक्षम होते हैं। वजन घटाने
में भी इसका अहम रोल होता है। मेटाबॉलिज्म तेज रखने के लिए तनाव मुक्त रहना जरूरी
है। जब तनाव शरीर व मस्तिष्क को प्रभावित करता है तो यह गंभीर बीमारियों की ओर ले
जाता है। डॉ मालिनी दहिया, क्लिनिकल डाइटिशियन कहती हैं कि कॉर्टिसोल हॉर्मोन
का उच्च स्तर तनाव का कारण बनता है, जो निद्रा, अपच और थकान
का कारण बनता है। डॉ. दहिया बताती हैं, “आयुर्वेद में, जड़ी-बूटियां
जो तनाव प्रबंधन में प्रभावी हैं, उनमें ब्राह्मी, तुलसी, पिपरमिंट, अश्वगंधा, कैमोमाइल और
लैमनग्रास आदि प्रमुख हैं। ब्राह्मी के एंटीऑक्सिडेंट गुण प्रतिरक्षा बढ़ाते हैं
और तनाव से राहत देते हैं। इसका सेवन चिंता, मिर्गी, अल्सर और
एनीमिया जैसी स्थितियों में भी किया जा सकता है। अश्वगंधा न केवल मन को शांत करती
है बल्कि मांसपेशियों की शारीरिक थकान को भी दूर करती है।" तुलसी, एक पवित्र
जड़ी बूटी है जो तनाव पैदा करने वाले हार्मोन कोर्टिसोल को नियंत्रित करती है और
मस्तिष्क को पोषण देती है, इसके अलावा प्रतिरक्षा में सुधार करके जीवन को
तनाव मुक्त भी रखती है। इसी तरह, कैमोमाइल नींद की समस्या में मदद करता है और बुखार, अपच एवं
मांसपेशियों की ऐंठन में फायदेमंद है। एक और जड़ी बूटी है पुदीना, जो एक
प्राकृतिक रूप से मांसपेशियों में आराम पहुंचाता है। लेमनग्रास एक दर्द निवारक है
और चिंता और अपच में उपयोगी है ।
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