Friday, 13 September 2019

NT24 News : पढ़ाई के बाद यूके में दो साल तक काम करने की छूट मिलेगी...........

भारतीय छात्रों को पढ़ाई के बाद यूके में दो साल तक काम करने की छूट मिलेगी: गुरपाल सिंह ओपल
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
चंडीगढ़
ब्रिटेन स्थित विश्वविद्यालयों से स्नातक करने वाले भारतीय छात्रों को खुश होने की वजह मिल गयी है, क्योंकि वहां की सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए दो साल के पोस्ट-स्टडी वीजा को फिर से लागू करने की घोषणा कर दी है, जिससे हजारों भारतीय छात्र प्रभावित होंगे | गुरपाल सिंह ओपल, सॉलिसिटर, एमए, एलएलबी (ऑनर्स), यूके, डायरेक्टर, चार्ल्स सिमंस इमिग्रेशन और एक्सप्रेस इमिग्रेशन अपील सर्विसेज (प्रा) लिमिटेड, चंडीगढ़ के हेड ने कहा, ‘नसे इमिग्रेशन नियमों का मतलब है कि किसी भी विषय में ग्रेजुएशन करने वाले भारतीय छात्रों को एक बार फिर से ब्रिटेन में दो साल तक रहकर काम करने की छूट रहेगी । वर्तमान में, ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कोर्स करने वाले अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय छात्र केवल चार महीने वहां रह सकते हैं और काम कर सकते हैं, जबकि पायलट स्कीम के तहत 27 विश्वविद्यालयों में छात्रों को छह महीने मिलते हैं।’ नया इमिग्रेशन रूट उन अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए उपलब्ध होगा, जिन्होंने डिग्री या हायर लेवल पर किसी विषय में सफलतापूर्वक कोर्स पूरा कर लिया है, जिसका ब्रिटेन में नियमानुसार एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है। नया नियम शुरू होने पर छात्रों को टियर 4 की छुट्टी की आवश्यकता होगी। इसमें वे छात्र शामिल हैं जो ग्रेजुएट लेवल या उससे ऊपर 2020/21 में कोर्स शुरू करेंगे । श्री ओपल ने कहा कि नया रूट पात्र छात्रों को किसी भी स्किल लेवल पर पढ़ाई के बाद दो साल तक काम करने के लिए सक्षम बनाता है। यह गत दिसंबर में प्रकाशित हुए इमिग्रेशन व्हाइट पेपर की तुलना में बहुत अधिक है, जिसमें ग्रेजुएट या मास्टर डिग्री वालों के लिए चार से छह महीने और पीएचडी वालों के लिए एक वर्ष तक बढ़ाने का प्रस्ताव था । उन छात्रों की संख्या पर कोई कैप नहीं होगा, जो नए ग्रेजुएट रूट के लिए आवेदन करेंगे। 2011 में, थेरेसा मे ने, गृह सचिव के पद पर रहते हुए, दो वर्षीय स्टडी वर्क वीजा को समाप्त कर दिया था। इसके कारण ब्रिटेन आने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 55 प्रतिशत की गिरावट आ गयी थी। महज चार से छह महीने के वर्क परमिट के साथ, एम्पलॉयर अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को नौकरी नहीं देना चाहते थे, जबकि दो साल का समय उनके लिए बहुत अधिक आकर्षक है ।


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