एमसीएम में
मंत्रो एवं श्लोकों पर कार्यशाला
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
चंडीगढ़
मेहरचंद महाजन डीएवी
कॉलेज फॉर वीमेन चंडीगढ़ की स्किल डवलपमेंट कमेटी एवं संस्कृत विभाग ने ध्वनि :
मन्त्र एवं श्लोकोच्चारण पर एक कार्यशाला आयोजित की जिसमे पंजाब यूनिवर्सिटी के
डीन यूनिवर्सिटी इंस्ट्रकशन प्रो शंकरजी झा बतौर मुख्यातिथि एवं डीएवी कॉलेज
मैनेजिंग कमेटी की सीनियर गवर्निंग बॉडी मेंबर श्रीमती सुदेश गांधार बतौर विशिष्ट
अतिथि सुशोभित थे। उद्घाटन सत्र में अपने प्रबुद्ध वक्तव्य में प्रो झा ने आज के
विश्व में संस्कृत मंत्रो एवं भारतीय वैदिक संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते
हुए कहा कि वसुधैव कुटुंबकम का सदैव पाठ पढ़ाने वाले हमारे पूर्वजों का अनुकरण करते
हुए हमें वैदिक एवं पाश्चात्य जीवन मूल्यों का समन्वय कर एक गुणवत्तापूर्ण जीवन
व्यतीत करना चाहिए। पंजाब यूनिवर्सिटी के
दयानन्द चेयर फॉर वैदिक स्टडीज के पूर्वाध्यक्ष प्रो विक्रम विवेकी ने अपने बीज
वक्तव्य में वैदिक मंत्रो एवं श्लोकों के
भाषा-वैज्ञानिक विशिष्टता बताते हुए व्यक्ति के मस्तिष्क, शरीर एवं उसकी
आत्मा पर उसके औषधीय प्रभाव पर विस्तृत चर्चा की।
उन्होंने छात्राओं को मन्त्र पाठ करते हुए अपने उच्चारण के प्रति सजग रहते
हुए शब्द ज्योति को सदैव जाज्व्लयमान रखने का परामर्श दिया। दुसरे सत्र में
गवर्मेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल मल्लाह के संस्कृत विभाग से डॉ विजयपाल शास्त्री
एवं पंजाब यूनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर वीरेंदर अलंकार इस सत्र के तीसरे चरण के सम्मानीय अतिथि के रूप
में सुशोभित थे। श्री विजयपाल शास्त्री ने गायत्री मंत्रोच्चारण व महामृत्युंजय
मंत्र को उच्चरण की सही विधि से विद्यार्थियों व अन्य श्रोताओं को अवगत
कराया। उन्होंने वर्णमाला के समस्त स्वर व
व्यंजनों का सही उच्चारण भी छात्राओं से
कराया। जीजीडीएसडी कॉलेज, सेक्टर ३२, चंडीगढ़ के
संस्कृत विभाग के डॉ देवी सिंह ने छंद में श्लोक उच्चारण की एक विशेष शैली से परिचित
कराया । कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ निशा भार्गव ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा
कि मन्त्र एवं श्लोक उच्चरण की प्राचीन परंपरा को पुनः स्मरण करना आज के युग में
अत्यंत प्रासंगिक है क्योंकि दिव्यप्रेम एवं प्रकाश की इस युग में अत्यंत आवश्यकता
है।
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