श्राद्ध का एक दिन होगा
कम,
क्यों करें श्राद्ध ?
जाने मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्
से
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
चंडीगढ़
प्रत्येक
मास की अमावस्या तिथि को श्राद्ध कर्म किया जा सकता है लेकिन भाद्रपाद मास की अमावस्या तक पूरा पखवाडा श्राद्ध कर्म करने का विधान है। अपने पूर्वजोंके प्रति श्रद्धा प्रकट करने के इस पर्व को श्राद्ध कहा जाता है इस बार पितृ पक्ष 13 से 28 सितंबर तक चलेगा जिसमें श्राद्ध कर्म किया जा सकता है
श्राद्ध सारिणी :
इस वर्ष श्राद्ध का एक दिन कम होगा, क्योंकि दो श्राद्ध एकादशी के दिन पड़ेंगे शारदीय नवरात्र पूरे नौ दिन पड़ रहे हैं ज्योतिष के दृष्टि से श्राद्ध का घटना
औरनवरात्र का बढ़ना या पूरा पड़ना शुभ मनाया गया है16 दिनों के श्राद्ध और नौ दिनों के नवरात्र एक के बाद एक पड़ते हैं इस तरह 25 दिनों का विशेष पर्व काल मनाया जाता है इस वर्ष 16 दिनों के श्राद्ध 13सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध से प्रारंभ हो जाएंगे महालय श्राद्ध पक्ष का यह पहला दिन होगा श्राद्धों का समापन पितृ अमावस्या और पितृ विसर्जन के श्राद्ध के साथ 28 सितंबर को होगा श्राद्ध के दिन यद्यपि 16 रहेंगे, लेकिन 27 सितंबर को चतुर्दशीतिथि का लोप हो जाएगा चतुर्दशी श्राद्ध 27 सितंबर शुक्रवार को होगा, जबकि त्रयोदशी श्राद्ध 26 सितंबर गुरुवार को पड़ रहा है इससे एक दिन पूर्व 25 सितंबर को एकादशी और द्वादशी के दो श्राद्ध एक साथ पड़ जाएंगे शारदीय नवरात्र 29 सितंबर को प्रारंभ होंगे और महानवमी के दिनसरस्वती और दुर्गा विसर्जन के साथ सात अक्टूबर को संपन्न होंगे शारदीय नवरात्र घट स्थापन 29 सितंबर को प्रातकाल होगा अष्टमी तिथि छह अक्टूबर को पड़ेगी दुर्गा नवमी के अगले दिन आठ अक्टूबर को विजयदशमीका पर्व मनाया जाएगा ।
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