Friday, 31 July 2020

NT24 News : सावन के व्रत का उद्यापन प्रातः 9 बज कर 30 मिनट के बाद.....

सावन के व्रत का उद्यापन प्रातः 9 बज कर 30 मिनट के बाद

अगस्त सोमवार को राखी बांधने और सावन के उद्यापन का शुभ 
समय : मदन गुप्ता सपाटू
एन टी 24 न्यूज़ 
विनय कुमार शर्मा 
चंडीगढ़ 
सावन मास का पहला सोमवार 6 जुलाई को था. 6 जुलाई से ही सावन मास का आरंभ हुआ था. सावन मास की समाप्ति 3 अगस्त सोमवार के दिन ही है. अगस्त को सावन के अंतिम सोमवार को विशेष पूजा का विधान है. इस दिन स्नान के बाद गंगाजल से पूजा स्थान को शुद्ध करें. इसके बाद पूजा आरंभ करें और व्रत का संकल्प लें. इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करेंदान दें. इस दिन क्रोध और हर प्रकार की बुराइयों से बचना चाहिए. शुभ मुहूर्त अगस्त को पूर्णिमा की तिथि है. . प्रातः 9 बज कर 30 मिनट के बाद ही  उद्यापन करें। किसी भी व्रत का समय पूरा होने के बाद प्रभु स्मरण के साथ जो अंतिम पूजा की जाती हैवही उस व्रत का उद्यापन कहलाता है। सावन का महीना समाप्ति की ओर हैऐसे में सावन के व्रत करनेवाले भक्त और सावन सोमवार के व्रत करनेवाले भक्त अब व्रत के उद्यापन की तैयारी करना शुरू कर सकते हैं। यदि आप अपने व्रत का उद्यापन पुरोहित जी से न कराकर खुद करना चाहते हैं तो सुबह के समय दैनिक कार्यों से निवृत्त हो जाएं। गणपति की आरती के साथ पूजा शुरू करें। हवन करेंइसमें काले तिल का प्रयोग करें। आप महामृत्युंज मंत्र 1,2,5 या 7 मालाओं का जप अपनी श्रद्धानुसार कर सकते हैं। पूजा के बाद किसी जरूरतमंद को वस्त्रों या दक्षिणा का दान दें।पूजा के बाद ही कुछ खाएं अगर आपने पूरे महीने सावन का व्रत किया है या केवल फलाहार लिया है तो आप भी 3 अगस्त को व्रत का उद्यापन कर सकते हैं। आपको पूजा और हवन के बाद ही कुछ खाना है। उद्यापन वाले दिन स्नान के बाद सफेद वस्त्र पहनना उचित होता है। इन्हीं वस्त्रों में पूजा करानी चाहिए पूजा के लिए एक चौकी तैयार करें। इसे केले के पत्तों और फूलों से सुंदर तरीके से सजाएं। स्वयं या पुरोहित जी द्वारा इस चौकी पर भगवान भोलेनाथमाता पार्वतीगणपतिकार्तिकेय,नंदी और चंद्रदेव की प्रतिमा स्थापित करें। इन्हें गंगाजल से स्नान कराने के बाद चंदनरोली और अक्षत का टीका लगाएं। फूल-माला अर्पित करें और पंचामृत का भोग लगाएं। भोलेनाथ को सफेद फूल अतिप्रिय हैं। सफेद मिठाई अर्पित करें। शिव मंदिर में शिवलिंग पर जलदूधदहीशहदघी,गंगाजल का पंचामृत अर्पित करें। बिल्व पत्रधतूरा और भांग चढ़ाएं।
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