कविता वह पुल है, जो दिलों को जोड़ती है व वह आईना है, जिसमें इंसान अपनी ही संवेदनाओं का चेहरा देखता है : डॉ. सुमिता मिश्रा
सीएसए
द्वारा इंटरनेशनल पोएट्री फेस्टिवल आयोजित
चंडीगढ़, विनय
कुमार : आज चंडीगढ़ साहित्य अकादमी ( सीएसए ) द्वारा यू टी गेस्टहाउस, चण्डीगढ़ में
डॉ. मनमोहन सिंह, चेयरमैन, सीएसए के मार्गदर्शन में इंटरनेशनल पोएट्री फेस्टिवल का
भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता माधव कौशिक, अध्यक्ष, राष्ट्रीय साहित्य
अकादमी ने की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. सुमिता मिश्रा, अतिरिक्त मुख्य सचिव, हरियाणा
सरकार और विशेष अतिथि प्रोफेसर योजना रावत, पंजाब विश्वविद्यालय रहे। अकादमी के चेयरमैन
डॉ. मनमोहन सिंह ने स्वागत प्रबोधन में कहा कि इस सृष्टि का पहला प्रेमी कवि रहा होगा
या यूं कहें कि सृष्टि का पहला कवि प्रेमी रहा होगा। चंडीगढ़ में साहित्यिक वातावरण
को प्रोत्साहित करने की कड़ी में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवियों की उपस्थिति
बहुत बड़ी उपलब्धि है। अकादमी ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से चंडीगढ़ में साहित्य का
सर्वमुखी उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। अकादमी के वाइस चेयरमैन डॉ. अनीश गर्ग ने बताया
कि इस कार्यक्रम में नीदरलैंड से कीरा वुक, फ्रांस से मेलानी लेबलांग, तिब्बत से तेनजिन
तुसांदे, नेपाल से केवल बिनाबी, शिलांग से रॉबिन नगोंगोम, कोच्चि से पी रामन, कलकत्ता
से अंशुमनकर, जयपुर से प्रियमवदा, अज़मेर से चंद्र प्रकाश, दिल्ली से अदनान काफिल,
लुधियाना से स्वर्गजीत सावी एवं अन्य कवियों ने अपनी सशक्त प्रस्तुति से समां बांध
दिया। डॉ. गर्ग ने बताया कि आज विभिन्न देश और राज्यों से उपस्थित कवियों ने अपनी सहभागिता
से साबित कर दिया कि कविता की सीमा या सरहद नहीं होती, ना भाषा ना भूगोल। यह सिर्फ
दिलों को जोड़ती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माधव कौशिक ने कहा कि आप प्रबुद्ध
कवियों की उपस्थिति ने इस उत्सव को केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि शब्दों की सुगंध से भरा
एक अनुपम साहित्यिक अनुभव बना दिया। मुख्य अतिथि डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि कविता
वह पुल है जो दिलों को जोड़ती है, वह आईना है, जिसमें इंसान अपनी ही संवेदनाओं का चेहरा
देखता है। और आज, इस मंच पर विविध देशों, भाषाओं और संस्कृतियों से आए कवियों ने इस
सच को और भी उजला कर दिया है। यह उत्सव सिर्फ़ कविताओं का संगम नहीं, यह विचारों की
यात्राओं का समागम है। यह वह स्थान है जहाँ शब्द सीमाएँ नहीं, संबंध बनाते हैं, जहाँ
भावनाएँ अनुवाद नहीं, अनुनाद बन जाती हैं। विशेष अतिथि प्रोफेसर योजना रावत ने कहा
कि आप कलमकारों की लेखनी और वाचन ने प्रेम, पीड़ा, उम्मीद, संघर्ष और मानवता के अनेक
रंगों को इस मंच पर जीवंत कर दिया। आपकी कविताएँ केवल सुनाई नहीं दीं। वे महसूस हुईं,
और यही किसी भी कला की सबसे बड़ी सफलता है। अकादमी के सचिव सुभाष भास्कर ने बताया कि
इस कार्यक्रम का मंच संचालन रविंदर कौर धालीवाल ने किया। इस कार्यक्रम में विशेष तौर मंजू जैदका, निरुपमा दत्त,
सतपाल भिखी, विजया सिंह, अंबरीश, सुनयना जैन, गुल चौहान, सुशील दोसांझ, अन्नु रानी
शर्मा, दीपक डलेवान ने अपनी कविताओं से उपस्थिति दर्ज़ की। इस कार्यक्रम में शहर के
गणमान्य साहित्यकार संतोष धीमान, प्रेम विज, चमन लाल चमन, संतोष गर्ग, दलजीत कौर, भूपिंदर
मलिक व अमनदीप सैनी विशेष तौर पर उपस्थित रहे।

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