Sunday 13 May 2018

दो दिन का अंतरराष्ट्रीय कान्क्लेव सम्पन्न हुआ



    चिकित्सा जगत में भविष्य रीजेनेरेटिव मेडिसिन का
स्टेम सेल थेरेपी से मिलेगा ताउम्र दवाओं से छुटकारा - डॉ प्रभु मिश्रा ,
प्रसिडेंट  सोसाइटी ऑफ रेजेनेरटीव एस्थेटिक एंड फंक्शनल मेडिसीन डॉ प्रभु व मेयो हॉस्पिटल के राजेश गुलिया व  डॉ मनीष खन्ना प्रेसिडेंट इंडियन स्टेम सेल स्टडी ग्रुप के प्रयासों से  आज दो दिन का अंतरराष्ट्रीय कान्क्लेव सम्पन्न हुआ 

वृंदा गुप्ता 

चंडीगढ़
क्या होती हैं स्टेम कोशिकाएं?
स्टेम कोशिका या मूल कोशिका या स्टेम सेल ऐसी कोशिकाएं होती हैं, जिनमें शरीर के किसी भी अंग को कोशिका के रूप में विकसित करने की क्षमता मिलती है। इसके साथ ही ये अन्य किसी भी प्रकार की कोशिकाओं में बदल सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार इन कोशिकाओं को शरीर की किसी भी कोशिका की मरम्मत के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
नई चिकित्सा प्रणाली है स्टेम सेल ट्रीटमेंट
अपने वास्तविक रूप में स्टेम कोशिका ऐसे अविकसित कोशिका हैं जिनमें विकसित कोशिका के रूप में विशिष्टता अर्जित करने की क्षमता होती है। इसी से क्लोनिंग और जैव प्रोद्योगिकी के क्षेत्र का विकास भी हुआ है जिसे कोशिका चिकित्सा कहते हैं| इन कोशिकाओं का स्वस्थ कोशिकाओं को विकसित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
क्या है इनका इतिहास?
1960 में कनाडा के वैज्ञानिकों अर्नस्ट.ए.मुकलॉक और जेम्स.ई.टिल की खोज के बाद स्टेम कोशिका के प्रयोग को बढ़ावा मिला। स्टेम कोशिका को वैज्ञानिक प्रयोग के लिए स्नोत के आधार पर भ्रूणीय, वयस्क तथा कॉर्डब्लड में बांटा जाता है। वयस्क स्टेम कोशिकाओं का मनुष्य में सुरक्षित प्रयोग लगभग 30 वर्षो के लिए किया जा सकता है। अधिकांशत: स्टेम सेल कोशिकाएं भ्रूण से प्राप्त होती है। ये जन्म के समय ही सुरक्षित रखनी होती हैं। हालांकि बाद में हुए किसी छोटे भाई या बहन के जन्म के समय सुरक्षित रखीं कोशिकाएं भी सहायक सिद्ध हो सकती हैं।
भारतीय परिवेश में स्टेम सेल ट्रीटमेंट
भारत में भी इसका प्रयोग होने लगा है। इसकी सहायता से कॉर्निया प्रत्यारोपण में और हृदयाघात के कारण क्षतिग्रस्त मांसपेशियों के उपचार में सफलता मिली है। अधिकांशत: रोग के उपचार में प्रयुक्त स्टेम कोशिका रोगी की ही कोशिका होती है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि बाद में चिकित्सकीय असुविधा न हो। पार्किसन रोग में भी इसका प्रयोग किया जा रहा है।
किन रोगों में है लाभकारी?
न्यूरोमस्कलर रोग, आर्थराइटिस, मस्तिष्क चोट, मधुमेह, डायस्ट्रोफी, एएलएस, पक्षाघात, अल्जाइमर जैसे रोगों के लिए स्टेम सेल उपचार को काफी प्रभावी माना जा रहा है। प्रयोगशाला में बनाई गई स्टेम कोशिकाएँ निकट भविष्य में कई प्रकार के रक्त कैंसर का उपचार कर सकती हैं। इस प्रक्रिया द्वारा दांत का उपचार भी संभव है। एक जापानी स्टेम कोशिका वैज्ञानिक युकियो नाकामुरा के अनुसार एप्लास्टिक एनीमिया यानि लाल रक्त कणिकाओं की कमी और थैलीसीमिया का स्टेम कोशिका तकनीक से उपचार संभव है।
डॉक्टर की सलाह ले, बनायें बच्चों का कल सुरक्षित
वर्तमान समय में इस पद्यति से कई लोगों को जीवनदान मिला है। आप भी अपने आसपास के लोगों को इस विषय में जागरूक करें और खुद भी डॉक्टर से विचार विमर्श करके किसी अच्छे स्टेम सेल बैंक में अपने आने वाली पीढ़ी के स्टेम सेल्स को सुरक्षित करने के लिए अभी से कदम उठायें। ये बेहद ज़रूरी है ताकि हम उन्हें एक स्वस्थ कल दे सकें।

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