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चंडीगढ़
प्रवासी
भलाई संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश सिंह शर्मा एवं महामंत्री् कमल किशोर
शर्मा राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री कार्यालय , विधि मंत्री कार्यालय, दिल्ली में जाकर देश की एकता अखंडता
धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए मांग पत्र देकर फरियाद लगाने पर विवश हुए । देश
को टुकड़ों में बांटने वालों पर जैसे उदाहरण महाराष्ट्र के राज ठाकरे, तेलंगाना के अकबरुद्दीन ओवैसी जैसे भड़काऊ भाषण देने वाले
हजारों लोग भविष्य में पैदा ना हो । जिससे कि देश की एकता अखंडता धर्म निरपेक्षता खतरे
में ना पड़ जाए । बता दें कि 12 फरवरी 2013 को महाराष्ट्र के राज ठाकरे ने बाहरी राज्यों के
लोगों के हाथ काट डालने की फरमान रूपी भाषण कोल्हापुर महाराष्ट्र की खुली सभा में
हजारों लोगों के सामने दिया था । भाषण के कारण दो गरीबों के हाथ काट डाले गए थे । देश के अंदर गृह युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो रही थी । लाखों शहीदों की कुर्बानी के बाद आजाद भारत को टुकड़ों में बटने
से बचाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय भारत में जनहित याचिका नंबर CWP 157/2013 डालकर भड़काऊ भाषण पर रोक लगाने संबंधी कानून
बनाने के आदेश संबंधी निर्देश की फरियाद लगाया था । 12 मार्च 2014 को सर्वोच्च न्यायालय से फैसला आया । सर्वोच्च न्यायालय भारत ने विधि आयोग भारत को भड़काऊ भाषण पर
रोक लगाने के लिए संशोधन करके नए विधेयक बनाकर संसद को भेजने का निर्देश दिया था ।
विधि आयोग भारत में सर्वोच्च न्यायालय भारत के दिशा-निर्देश का सम्मान करते हुए 3 वर्षों के अथक प्रयास से रिपोर्ट संख्या 267 भड़काऊ भाषण 23 मार्च 2017 को श्री रविशंकर प्रसाद माननीय विधि और न्याय मंत्री भारत सरकार को भेजा । जिसमें आयोग की राय में भेदभाव विरोधी समूह को कमजोर समूह के अधिकारों पर भाषण के हानिकारक प्रभाव को ध्यान में रखना चाहिए । आयोग ने सिफारिश की है कि एक भाषण को प्रतिबंधित करने से
विधि आयोग भारत में सर्वोच्च न्यायालय भारत के दिशा-निर्देश का सम्मान करते हुए 3 वर्षों के अथक प्रयास से रिपोर्ट संख्या 267 भड़काऊ भाषण 23 मार्च 2017 को श्री रविशंकर प्रसाद माननीय विधि और न्याय मंत्री भारत सरकार को भेजा । जिसमें आयोग की राय में भेदभाव विरोधी समूह को कमजोर समूह के अधिकारों पर भाषण के हानिकारक प्रभाव को ध्यान में रखना चाहिए । आयोग ने सिफारिश की है कि एक भाषण को प्रतिबंधित करने से
पहले कई कारकों पर विचार किया जाना चाहिए । इस मुद्दों की पूरी तरह से जांच और अंतरराष्ट्रीय
कानूनी ढांचे के विश्लेषण के बाद विधि आयोग भारत ने भारतीय दंड संहिता, १८६० के धारा 153 बी,और 505 ए के को सम्मिलित करके भारतीय दंड संहिता में
संशोधन का प्रस्ताव दिया है । यह भी प्रस्तावित है कि इस स्वीकृति से इस तरह की अभिव्यक्ति से , अन्य रणनीतियों को भी समाज के विभिन्न समूहों के बीच सद्भाव को
प्रोत्साहित करने के लिए नियोजित किया जा सकता है । जैसे कि भाषण के जिम्मेदार अभ्यास पर जनता को संवेदनशील बनाना
और शिक्षित करना । विधि आयोग भारत का रिपोर्ट संख्या 267, 23 मार्च 2017
से संसद
में स्वीकृति के लिए पड़ा है । देश के अंदर विभिन्न राज्यों के आगामी विधानसभा
चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए विभिन्न पार्टी के
राजनेता अपने राजनीतिक लक्ष्य को पाने के लिए धर्म, जाति, भाषा, जन्म स्थान, क्षेत्र, लिंग, लिंग पहचान पर भड़काऊ भाषण देते हैं । जिससे देश की एकता अखंडता धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ जाती है
और अनेकों लोग दंगा फसाद के शिकार होकर जान गवा बैठते हैं । और लाखों-करोड़ों लोगों में भय का माहौल व्याप्त हो जाता है ।
अतः महा महिम जी से सादर विनती है कि उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए लोकसभा अध्यक्ष, राज सभा अध्यक्ष को विधि आयोग भारत के द्वारा भेजे गए रिपोर्ट संख्या 267 को जल्द से जल्द संसद के पटल पर रखने का आदेश देने की कृपा करें जिससे कि संसद की स्वीकृति के बाद देश को मजबूती और बल मिल सके ।
अविनाश सिंह ने बताया कि अगर समय से संसद मे दंड विधि संशोधन विधेयक 2017 को स्वीकृति नहीं मिला तो दिल्ली में भूख हड़ताल एवं संसद भवन का घेराव किया जाएगा ।
अतः महा महिम जी से सादर विनती है कि उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए लोकसभा अध्यक्ष, राज सभा अध्यक्ष को विधि आयोग भारत के द्वारा भेजे गए रिपोर्ट संख्या 267 को जल्द से जल्द संसद के पटल पर रखने का आदेश देने की कृपा करें जिससे कि संसद की स्वीकृति के बाद देश को मजबूती और बल मिल सके ।
अविनाश सिंह ने बताया कि अगर समय से संसद मे दंड विधि संशोधन विधेयक 2017 को स्वीकृति नहीं मिला तो दिल्ली में भूख हड़ताल एवं संसद भवन का घेराव किया जाएगा ।
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