फेस्टिवल के दोरान वर्कशॉप में कलाकारों को सिखाये
वेस्ट मटेरियल से पपेट / पुतले बनाने
विनय
कुमार
चंडीगढ़
थिएटर फॉर थिएटर द्वारा आयोजित चौदहवें विंटर नेशनल थिएटर
फेस्टिवल के अंतर्गत वर्कशॉप के दुसरे चरण में कलाकारों को वेस्ट मटेरियल से पपेट/
पुतले बनाने के गुर सिखाये जायेंगे l जिसका सारा दारोमदार प्रोफेशनल पपेट आर्टिस्ट
शुभाशीष नियोगी जी पर रहेगा l लगभग बीस
साल से इस कला को अंपनी सेवाएँ दे रहे शुभाशीष नियोगी पुराने अख़बारों, रस्सी,
गत्तों, फोम, प्लास्टिक आदि की मदद से नाटकों और अन्य सजावट के मौकों पर इस्तेमाल
होने वाले स्माल और जायंट पप्पेट्स बनाने सिखायेंगे l पपेट मेकिंग में अनेकों सम्मानों से नवाज़े जा
चुके शुभाशीष नियोगी ने पप्पेट्स के इतिहास पर रौशनी डालते हुए बताया की इस शैली
का जन्म मूल रूप से हजारों वर्ष पहले इजिप्ट में हुआ, जहाँ पर हाथी के दांतों और
क्ले से बने पप्पेट्स मकबरों और मीनारों के अन्दर सजाये जाते थे. भारत में भी कुछ
राज्यों में पपेट कला सैकड़ों वर्षों से आज भी जीवित है l रंगमंच के साथ साथ
विभिन्न तीज त्योहारों पर भी जिसका उपयोग किया जाता है l उसी प्रकार स्थानीय
संस्कृति के हिसाब भी उनके नाम भी रखे गए है l उदहारण के तौर पर बंगाल की रॉड
पप्पेट शैली को मूल रूप से “पुतुल नाच” कहा जाता है, ओर बिहार की पारंपरिक रॉड
पप्पेट शैली को “यमपुरी” कहा जाता है. तीस दिन के इस नाट्य समारोह में हर शनिवार
को पप्पेट वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा l
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