Thursday, 23 July 2020

NT24 News : “उम्र का वो पड़ाव, बालों के रंग की सफेदी, लेखिका ...नेहा अरोरा

एन टी 24 न्यूज़

लेखिका ...नेहा अरोरा
“उम्र का वो पड़ाव, बालों के रंग की सफेदी,
काले भूरे रंग की चादर में सिमटी, हवा में लहराती.
कुछ दिन बाद कुछ यूँ कहती”
                                            "रंग न मुझे उस रंग में, जो नहीं है मेरा
                                             रंगना है तो उस रंग में रंग, जो करे सवेरा
“सफेदी मेरी, उम्र के तजुरबे की कहे कहानी,
आँखो में बसी, अब भी उसी भारत की है तस्वीर पुरानी “
                             “रंग न था जब, न था कोई दिखावा
                                             एक रंग में था रंगा सारा भारत वर्ष हमारा”
“दादी लगती थी दादी, दादागिरी उसकी चलती थी,
अपने बालो की सफेदी से, मोहल्ले को इकजुट करती थी”
                            “जब से रंगो की चादर नें, बालों को रंग में रंग डाला,
                                           मोहल्ले के बच्चों नें, डर भी सारा निकाल डाला”
“ न है कहीं अब साँझा चुल्हा, न ही कोई नई कहानी,
 बालों के कृत्म रंगों नें, दादी की तस्वीर ही बदल डाली”
                                           “उम्र का पड़ाव खतरे में पड़ गया,
                            दादी का नाम जबसे आंटी पड़ गया”
“रंग न मुझे, उस रंग में, जो नहीं है मेरा
 रंगना है तो उस रंग में रंग, जो करे सवेरा”

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