एंटी फॉग डिवाइस हुआ विफल, - ट्रेनों
में लगाए थे फॉग डिवाइस, - फिर भी जारी रहा
ट्रेनों का देरी से पहुंचना
विनय कुमार
चंडीगढ़
रेलवे के अंबला मंडल ने कोहरे से निपटने के लिए ट्रेनों में एंटी फॉग
डिवाइस लगाए थे जिसके लगने बाद रेलवे के अंबाला मंडल ने बड़े-बड़े दावें किए थे कि
अब ट्रेनों की रफ्तार पर ब्रेक नहीं लगेगी। मगर जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है। ट्रेनों
में लगे एंटी फॉग डिवाइस बिलकुल विफल साबित हो रहा है। इसका सबूत इसी बात से मिल
रहा है कि ट्रेनों के लेट हाने का सिलसिला अभी भी चल रहा है । वहीं एंटी फॉग डिवाइस को यात्रियों की सुविधा के लिए ट्रेनों
में लगाया गया था, मगर एंटी फॉग डिवाइस का ट्रेनों की
रफ्तार पर कोई भी असर नहीं दिख रहा है । जहां एक ओर ट्रेनों के लेट होने का
सिलसिला चल रहा है, वहीं ट्रेनें अभी रद्द हो रही है ।
ट्रेनों में एंटटी फॉग डिवाइस लगाने का प्लान विफल साबित हो रहा है ।दूसरे
राज्यों में कोहरे ने दे दी है दस्तक: देश में ठंड ने दस्तक दे
दी है और इसके साथ ही कोहरे का कहर भी शुरू होने लगा है । सद्रियों में देखा जाता है
कि कोहरे का असर सबसे ज्यादा यातायात पर पड़ता हैं जिसमें रेल यातायात भी शामिल है ।
इस बार भी कुछ ऐसा ही मंजर देखने को मिल रहा है । हालांकि अभी शहर में ज्यादा
कोहरे ने दस्तक नहीं दी है,
मगर चंडीगढ़ के साथ लगते राज्यों में सुबह और रात के समय में कोहरे
पड़ना शुरू हो गया है । चंडीगढ़
रेलवे स्टेशन से सभी चलने वाली ट्रेनों में लगाया गया था डिवाइस: अंबाला
मंडल ने चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से चलने वाली लगभग सभी ट्रेनों में एंटी फॉग सिस्टम
लगाए गए थे ताकि ट्रेन लेट और रद्द ना हो सके। मगर विभाग का फैसला लग रहा है कि
उनके गले की फांस बन गया है । कई
ट्रेने चल रही हैं देरी से: अभी दिसंबर माह शुरू ही हुआ हैं और ट्रेनों
के लेट होने का सिलसिला अभी शुरू हो चुका है । रविवार को चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन
पहुंचे वाली करीब 10
ट्रेनें अपने निर्धारित समय से कई घंटे की देरी से पहुंच रही है ।
ट्रेनों में अगर लेट होना ही था तो फिर उसमें इस डिवाइस को लगाने का औचित्य । एक डिवाइस पर हुआ था लगभग 3 लाख रुपए का खर्च: रेलवे
ने नार्थ जोन से चलने वाली ट्रेनों में एंटी फॉग डिवाइस लगाया था । एक डिवाइस
लगाने में रेलवे ने करीब 3
लाख रुपए खर्च किए थे । डिवाइस को करीब 100 से
ज्यादा ट्रेनों में लगाया था । रेलवे ने करीब करोड़ों रुपए खर्च किए इन डिवाइसिस को
लगाने के लिए, मगर उसके बावजूद ट्रेनें देरी से पहुंच रही
हैं । डिवाइस का हुआ था ट्रायल: इस
डिवाइस को ट्रेनों में लगाने से पहले कई बार इसका ट्रायल भी किया गया था । ट्रायल
में सफल होने के बाद ही इस डिवाइस को ट्रेनों में लगाया था । ऐसे में इस डिवाइस के
फेल होने का जिम्मेदार कौन है? यह सवाल सबके जहन में रहेगा और रेलवे के
उपर उठेगा । यह
ट्रेनें रही रद्द: कालका मेल (12311) 1 घंटा 25 मिनट, जयपुर-चंडीगढ़ इंटरसिटी एक्सप्रेस (19717)
30 मिनट, लाल कुंआ-अमृतसर एक्सप्रेस (14615)
1 घंटा 30 मिनट, ऊंचचाहार
एक्सप्रेस (14217) 7 घंटें 28 मिनट,
लखनऊ-चंडीगढ़ (सदभावना) सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12231) 1 घंटा 40 मिनट, डिब्रूगढ़-चंडीगढ़
एक्सप्रेस (15903) 4 घंटें 37 मिनट,
कालका-अंबाला कैंट पैसेंजर (54532) 1 घंटा 50
मिनट, लखनऊ जंक्शन-चंडीगढ़ एक्सप्रेस (15011)
3 घंटें 32 मिनट, अंबाला
कैंट-अंब अंदौरा डेमू (74991) 1 घंटा 28 मिनट, पश्चिम एक्सप्रेस स्लीपर (12995) 30 मिनट, हजूर साहिब नांदेड़-उना हिमाचल एसएफ एक्सप्रेस
(पीटी) (22457) 1 घंटा 2 मिनट, अंब अंदौरा- अंबाला कैंट (64564) 45 मिनट, अंबाला कैंट-कालका पैसेंजर (54531) 1 घंटा कोट.... एंटी फॉग डिवाइस बिल्कुल
जी.पी.एस सिस्टम पर कार्य करता है । इसको कार्य करने के लिए इंटरनेट की आवश्यकता
होती है,
ऐसे में जब ट्रेने ग्रामीण इलाको से होकर गुजरती है तो वहां पर
सिग्नल नहीं आता है । जिसकी वजह से एंटी फॉग डिवाइस काम नहीं करता है और इस कारण
लोको पायलट ट्रेन को का संचालन करता है उसे पता नहीं लग पाता है । दिनेश चंद शर्मा, डिवीजिनल रेलवे मैनेजर
(डीआरएम), अंबाला
मंडल नोट:- सभी आंकडें रेलवे द्वारा आँनलाइन जारी l
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