Sunday 17 February 2019

NT24 NEws : नाट्यशास्त्र और मॉडर्न थिएटर की वर्कशॉप में डायरेक्टर कुलबीर विर्क हुई रु-ब-रु........

नाट्यशास्त्र और मॉडर्न थिएटर की वर्कशॉप में डायरेक्टर कुलबीर विर्क हुई रु-ब-रु
एन टी 24 न्यूज़

विनय कुमार
चंडीगढ़
अभिनय से जुड़े हर प्रश्न का उत्तर नाट्यशास्त्र में मिलेगारविवार को आयोजित नाट्यशास्त्र और मॉडर्न थिएटर की वर्कशॉप में दिग्गज रंगकर्मी व डायरेक्टर कुलबीर विर्क जी ने युवाओं को  नाट्यशास्त्र की कुछ ऐसी ही बारीकियां बताई l यह वर्कशॉप बाल भवन सेक्टर 23 में 30 दिवसीय विंटर नेशनल थिएटर फेस्टिवल में आयोजित की गई l इस वर्कशॉप में पटियाला की पंजाबी यूनिवर्सिटी से प्रक्शिक्षित गोल्ड मेडलिस्ट कुलबीर ने नाट्यशास्त्र और उसके अभिनय में  सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पवंचमवेद माने जाने वाले नाट्यशास्त्र की उत्पत्ति धार्मिक कारणों से हुई और इसमें चारो वेदों के ज्ञान का निचोड़ है l उनके अनुसार अधर्म से रोकने के लिए वेदों पुराणों के अलावा कुछ ऐसे ग्रन्थ की रचना आवश्यक थी जिसे देखा और सुना जा सके इसीलिए नाटयशास्त्र की रचना हुई l मूल रूप से पंजाब के भटिंडा की निवासी कुलबीर जी मानती है भले ही हूँ नाट्यशास्त्र की रचना का श्रेय भरतमुनि जी को देते है पर उनके अनुसार ये ग्रन्थ भारत के अलग अलग मुनियों द्वारा लिखा गया है l मोहन राकेश और समकालीन नाटककारों के काम पर पी.एच.डी कर चुकी कुलबीर जी ने बताया कि किसी भी नाटक को पढने से पहले लेखक के बारे में अवश्य जानना चाहिए साथ ही लेखक के लिए सेल्फ रीयलाईज़ेशन की अहमियत बताते हुए कहा मोहन राकेश ने प्रसिद्ध आषाढ़ के एक दिनके 17 ड्राफ्ट खुद फाडे थे l वो एक लेखक ही नहीं बल्कि एक ऐसे नाटककार थे जो क्लासिक रचनाएँ लिखते थे l भारतीय और वेस्टर्न थिएटर में अंतर बताते हुए कुलबीर जी कहा  कि हम भारतियों थ्योरी में रस है ग्रीक थ्योरी में कैथार्सिस l अरिस्तु की थ्योरी ने वेस्ट को प्रभावित किया और नाटयशास्त्र ने भारतीय थेटर को l हमे बिना सोचे समझे अपने भारत की धरोहरों को नज़रंदर कर सीधे पश्चिमी थिएटर का अनुसरण नहीं करना चाहिए क्यूंकि भारतीय दर्शक भारतीय किरदारों को अपने ज्यादा करीब पाते है l नाट्यशास्त्र और मॉडर्न थिएटर पर अच्छी पकड़ रखने वाली कुलबीर जी ने थिएटर में एक्सपेरीमेंटेशन को समझने के लिए निरंतर नए नाटक और साहित्य पढ़ने की सलाह दी l इस मौके पर नाट्यशास्त्र का असीम ज्ञान रखने वाली प्रसिद्ध भरतनाट्यम नर्तिका सुचित्रा मित्र भी मौजूद रहीं, जिन्होंने दूसरी कलाओं में भी नाट्यशास्त्र की सार्थकता पर प्रकाश डाला l

No comments: