नागपंचमी 25 जुलाई पर करें कालसर्प दोष का निवारण
एन टी 24 न्यूज़
मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्
चंडीगढ़
विश्व में भारत ही एकमात्र देश है जहां पृथ्वी, समुद्र,
नदियों, वृक्षों , ग्रहों ,देवताओं आदि की पूजा तो होती ही है परंतु
आदिकाल से पशु पक्षियों के संरक्षण ,पर्यावरण एवं प्राकतिक
संतुलन बनाए रखने के उदद्ेश्य से उनकी पूजा भी की जाती है। इसके लिए लगभग हर पशु
पक्षी को किसी न किसी देवी या देवता से जोड़ा गया है ताकि देवों के साथ साथ उनकी भी
रक्षा होती रहे। गाय को तो पूज्यनीय माना ही गया है
परंतु भगवान कृष्ण का इससे अटूट संबंध भी जोड़ा गया है। बैल-शिवजी
का वाहन ,शेर-दुर्गाजी का वाहन , मोर- कार्तीकेय , चूहा-गणेशजी ,सर्प-शिवजी के गले में एवं विष्णु जी की शैय़्या के रुप में रहता है।
हंस-देवी सरस्वती का , उल्लू-देवी लक्ष्मी का वाहन
भैंसा-यमराज का। इसी श्रृंखला में नाग पंचमी पर नागों की पूजा का पारंपरिक विधान
है। नाग पंचमी का पर्व 25 जुलाई को मनाया जाएगा।
हर साल यह पर्व सावन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन सांपों (नाग देवताओं) को
पूजने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माना
जाता है कि इस दिन नागदेव की पूजा करने से कुंडली के राहु और केतु से संबंधित दोष
दूर होते हैं। सांप के भय एवं सर्पदंश से मुक्ति पाने के लिए नाग पंचमी के दिन
कालसर्प योग की पूजा भी करवाई जाती है। इस दिन महिलाएं सर्प को भाई मानकर उसकी
पूजा करती हैं और भाई से अपने परिजनों की रक्षा का आशीर्वाद मांगती हैं।
नाग
पंचमी का मुहूर्त पंचमी तिथि प्रारंभ - 14:33 (24 जुलाई 2020),
पंचमी तिथि समाप्ति - 12:01 (25 जुलाई 2020)
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त 05:38:42 बजे से 08:22:11 बजे तक, अवधि - 2 घंटे 43 मिनट
नाग पंचमी - महत्व
1. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सर्पों को पौराणिक काल से ही देवता के रूप में
पूजा जाता रहा है। इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का अत्यधिक महत्व है।
2. ऐसी भी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने वाले व्यक्ति
को सांप के डसने का भय नहीं होता।
3. ऐसा माना जाता है कि इस दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से
पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है।
4. यह पर्व सपेरों के लिए भी विशेष महत्व का होता है। इस दिन उन्हें सर्पों
के निमित्त दूध और पैसे दिए जाते हैं।
5. इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर नाग चित्र बनाने की भी परम्परा है। मान्यता
है कि इससे वह घर नाग-कृपा से सुरक्षित रहता है।
नाग पंचमी का त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की
पंचमी को मनाया जाता है. पौराणिक काल से ही नागों को देवता के रूप में पूजा जाता
रहा है. इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का बहुत महत्व माना गया है. मान्यता है
कि इस दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती हैl गुप्त धन की रक्षा शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि
नाग देव गुप्त धन की रक्षा करते हैं। इस कारण यह माना जाता है कि नागपंचमी के दिन
नागों की पूजा करने से जीवन में धन-समृद्धि का भी आगमन होता है। इस दिन व्रती को
मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है
तो उसे इस दोष से बचने के लिए नाग पंचमी का व्रत करना चाहिए।
नाग पंचमी से जुडी कुछ कथाएं व
मान्यताएँ
1. हिन्दू पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियाँ
थी। मान्यता यह है कि उनकी पहली पत्नी से देवता, दूसरी
पत्नी से गरुड़ और चौथी पत्नी से दैत्य उत्पन्न हुए, परन्तु
उनकी जो तीसरी पत्नी कद्रू थी, जिनका ताल्लुक नाग वंश
से था, उन्होंने नागों को उत्पन्न किया।
2. पुराणों के मतानुसार सर्पों के दो प्रकार बताए गए हैं — दिव्य और भौम । दिव्य सर्प वासुकि और तक्षक आदि हैं। इन्हें पृथ्वी का बोझ
उठाने वाला और प्रज्ज्वलित अग्नि के समान तेजस्वी बताया गया है। वे अगर कुपित हो
जाएँ तो फुफकार और दृष्टिमात्र से सम्पूर्ण जगत को दग्ध कर सकते हैं। इनके डसने की
भी कोई दवा नहीं बताई गई है। परन्तु जो भूमि पर उत्पन्न होने वाले सर्प हैं, जिनकी दाढ़ों में विष होता है तथा जो मनुष्य को काटते हैं उनकी संख्या
अस्सी बताई गई है।
3. अनन्त, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापदम, शंखपाल और कुलिक — इन आठ नागों को सभी
नागों में श्रेष्ठ बताया गया है। इन नागों में से दो नाग ब्राह्मण, दो क्षत्रिय, दो वैश्य और दो शूद्र हैं। अनन्त
और कुलिक — ब्राह्मण; वासुकि
और शंखपाल — क्षत्रिय; तक्षक
और महापदम — वैश्य; व
पदम और कर्कोटक को शुद्र बताया गया है।
4. पौराणिक कथानुसार जन्मजेय जो अर्जुन के पौत्र और परीक्षित के पुत्र थे; उन्होंने सर्पों से बदला लेने व नाग वंश के विनाश हेतु एक नाग यज्ञ किया
क्योंकि उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सर्प के काटने से हुई थी।
नागों की रक्षा के लिए इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था।
जिस दिन इस यज्ञ को रोका गया उस दिन श्रावण मास की शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि थी और
तक्षक नाग व उसका शेष बचा वंश विनाश से बच गया। मान्यता है कि यहीं से नाग पंचमी
पर्व मनाने की परंपरा प्रचलित हुई।
नाग पंचमी की पूजा विधि
नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है और इस दिन.
अगर किसी को नागों के दर्शन होते हैं तो उसे बेहद शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता
है कि इस नाग पंचमी की पूजा को करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और सर्पदंश
का डर भी दूर होता है. आइए जानते हैं नाग पंचमी की पूजा विधि.
- नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक अष्टनागों की पूजा की
जाती है.
- चतुर्थी के दिन एक बार भोजन कर पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करना
चाहिए.
- पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिट्टी की सर्प मूर्ति बनाकर इसे लकड़ी की
चौकी के ऊपर स्थापित करें.
- हल्दी, रोली, चावल
और फूल चढ़कर नाग देवता की पूजा करें.
- कच्चा दूध, घी, चीनी
मिलाकर सर्प देवता को अर्पित करें.
- पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है.
- अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें.
कालसर्प दोष क्या है व कुंडली
में कैसे बनता है कालसर्प दोष?
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतू
ग्रहों के बीच अन्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है।
क्योकि कुंडली के एक घर में राहु और दूसरे घर में केतु के बैठे होने से अन्य
सभी ग्रहों से आ रहे फल रूक जाते हैं। इन दोनों ग्रहों के बीच में सभी ग्रह फँस
जाते हैं और यह जातक के लिए एक समस्या बन जाती है। इस दोष के कारण फिर काम में
बाधा, नौकरी में रूकावट, शादी में देरी और धन संबंधित
परेशानियाँ, उत्पन्न होने लगती हैं।
काल सर्प योग उपाय -
विशेषज्ञों काल सर्प योग के असभ्य प्रभाव को कम करने के
उपाय बताएं है। उनमें से कुछ नीचे बताये गये है -ओम नमः शिवाय का जप करने या
रोजाना कम से कम 108 बार महामृत्युजंय जप को करने से इस योग के खराब प्रभाव को कम करने में मदद
मिलेगी। नाग देवता की पूजा करना या नाग पंचमी को व्रत
करना प्रभावी रहता है।धातु से बनी हुई नाग और नागिन की जोड़ी नदी या एक मंदिर में
चढ़ाना भी अच्छा परिणाम दिखाता है। इस योग के साथ हर व्यक्ति दिए गए प्रभावों और
लक्षणों से ग्रस्त नहीं होता है। यह सब जन्म के समय किसी व्यक्ति की कुंडली पर
निर्भर करता है। ऐसे अन्य उपाय भी हैं जो आप किसी विशेषज्ञ या पुजारी से जान सकते
है। इस दोष का जल्दी से जल्दी उपाय करने का सुझाव दिया जाता है। नागपंचमी के दिन किए जाने वाले कुछ प्रयोग निम्नलिखित हैं जिनके करने से
कालसर्प दोष शिथिल होता है-
1. नाग-नागिन का जोड़ा चांदी का बनवाकर पूजन कर जल में बहाएं।
2. नारियल पर ऐसा ही जोड़ा बनाकर मौली से लपेटकर जल में बहाएं।
3. सपेरे से नाग या जोड़ा पैसे देकर जंगल में स्वतंत्र करें।
4. किसी ऐसे शिव मंदिर में, जहां शिवजी पर नाग
नहीं हों, वहां प्रतिष्ठा करवाकर नाग चढ़ाएं।
5. चंदन की लकड़ी के बने 7 मौली प्रत्येक
बुधवार या शनिवार शिव मंदिर में चढ़ाएं।
6. शिवजी को चंदन तथा चंदन का इत्र चढ़ाएं तथा नित्य स्वयं लगाएं।
7. नागपंचमी को शिव मंदिर की सफाई, मरम्मत तथा
पुताई करवाएं।
8. निम्न मंत्रों के जप-हवन करें या करवाएं।
(अ) 'नागेन्द्र हाराय ॐ नम: शिवाय'
(ब) 'ॐ नागदेवतायै नम:' या नागपंचमी मंत्र ' ॐ नागकुलाय विद्महे
विषदन्ताय धीमहि तन्नौ सर्प प्रचोद्यात्।'
(9) शिवजी को विजया, अर्क पुष्प, धतूर पुष्प, फल चढ़ाएं तथा दूध से रुद्राभिषेक
करवाएं।
(10) अपने वजन के बराबर कोयले पानी में बहाएं।
मदन गुप्ता सपाटू, 9815619620, 458,
सैक्टर 10, पंचकूला
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